नवोत्पल गुरुवारीय विमर्श

 


Tuesday, February 28, 2017

#The_Gazi_Attack...पद्माकर द्विवेदी


बॉलीवुड में साइंस फिक्शन की फिल्में शायद ही बनती हैं, इसलिए गाज़ी अटैक को हम एक अच्छी कोशिश कह सकते हैं।
Loosely द गाज़ी अटैक इंडो-पाक वॉर पर बेस्ड है।फ़ैक्ट और फ़िक्शन की इस मूवी में दिखाया गया कि भारत -पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के ठीक पहले पाकिस्तान के बेहद मज़बूत और ख़तरनाक सबमरीन गाज़ी को भारतीय नौसेना के INS राजपूत ने अटैक कर डुबो दिया होता है।लेकिन ऐसा बहुत कुछ है जो मूवी में नहीं दिखाया गया है।इसमें 92 पाकिस्तानी सैनिक शहीद हुए ऐसा कहा जाता है।लेकिन युद्ध इतिहासकारों ने इस बात पर हमेशा से संदेह प्रकट किया और अब सामान्यत: यह माना जाता है कि वास्तव में गाज़ी को भारतीय नौसेना ने नही डुबोया बल्कि वह खुद अपनी ही तकनीकी दिक्कत(हाइड्रोजन एक्सप्लोजन)या अपने ही बिछाए माइंस में उलझकर दफ़न हो गया।ये सबमरीन पाकिस्तान को अमरीका ने दी थी और अपने वक्त की यह बेहद उम्दा और शक्तिशाली सबमरीन कही जाती थी।इसमें दो राय नही कि 80 के दशक तक पाकिस्तान की नौसेना भारत से कहीं बेहतर थी।उस वक़्त रूस और अमेरिका ने गाज़ी को समुद्र से बाहर निकालने का प्रस्ताव दिया था जिसे भारत ने नही माना। 32 साल बाद सन 2003 में भारत की नौसेना पाकिस्तानी सबमरीन से जुड़े हादसे की जांच के लिए आदेश देती है। नौसेना के डाइवर्स को बहुत सी चीजें मिलती हैं।उसमें एक पाकिस्तानी सैनिक की जेब से उर्दू में लिखा एक ख़त भी मिलता है जो उसने अपनी प्रेमिका या होने वाली बीवी के लिए लिखा था ।पर वो ख़त अपने पते पर कभी नहीं पहुँचा।यह सब मूवी में नही है।

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लेकिन यह सिक्के का एक पहलू है।फ़िल्म में वो दिखाया गया जो दिखाने लायक था।पर आगे एक कहानी और थी जो नही दिखाया गया।ये कम लोग जानते होंगे कि 03/04 दिसम्बर 1971 की रात 'बे ऑफ़ बंगाल' में गाज़ी के डूबने के तुरन्त बाद महज 6 दिन के भीतर 'अरब सागर' में एक और युद्धपोत डूबता है जिसमें इस बार 92 नही बल्कि 194 नौसैनिक शहीद होते हैं।और इस बार यह युद्धपोत पाकिस्तान का नही बल्कि भारत का होता है। और इसे पाकिस्तान की एक दूसरी सबमरीन PNS Harbour डुबोती है।पाकिस्तान को यह सबमरीन फ्रांस ने दिया था ।डूबने वाले इस भारतीय युद्धपोत का नाम INS KHUKHRI था।गाज़ी को भारतीय नौसेना ने डुबोया इसमें शुरू से ही संदेह रहा पर INS Khukhri को पाकिस्तान नौसेना ने डुबोया इसमें कोई संदेह नही था।सेकेण्ड वर्ल्ड वॉर के बाद डूबने वाला किसी भी देश का यह पहला और अब तक का दूसरा युद्धपोत था।इस युद्धपोत के कप्तान, कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला थे जिनका जन्म गोरखपुर में हुआ था। INS khukhri पर PNS Harbour के दो तारपीडो के लागातार हमले से वह सिर्फ सिर्फ़ 2 मिनट के अंदर ही समुद्र तल में डूब गई।इस दौरान कैप्टन महेंद्रनाथ ऐसी स्थिति में थे कि वो अपनी जान बचा सकते थे पर उनके लिए यह सम्मानजनक नही था और वो अपनी लाइफ जैकेट अपने जूनियर ऑफिसर को देते हुए युद्धपोत के उस हिस्से की ओर मुड़े जो सीधे हमले से बचा रह गया था।कुछ को बचाने में सफल रहे पर ख़ुद को नही।शायद उन्होंने खुद को बचाया भी नही।युध्द ख़त्म होने पर कैप्टन महेन्द्रनाथ को मरणोपरांत देश के दूसरे सबसे बड़े सैनिक सम्मान 'महावीर चक्र' से सम्मानित किया गया।उन्हीं कैप्टन महेंद्र नाथ के नाम पर मुंबई के कोलाबा डॉकयार्ड में एक नेवल ओडोटोरियम बनाया गया।इसके अलावा दीव (दमन-दीव) में भी INS KHUKHRI की प्रतिकृति और कैप्टन महेंद्र नाथ का स्टैच्यू आज भी देखी जा सकती है।


पकिस्तान ने सिर्फ़ 6 दिन के भीतर अपने 92 नौसेनिक साथियों की शहादत का बदला भारत के 194 नौसैनिकों को शहीद कर ले लिया था।इसे मूवी में नही दिखाया गया।शायद मूवी इसी लिए मूवी होती है वरना मूवी डॉक्यूमेंट्री क्यों न हो जाए।ये अलग बात है कि 71 की लड़ाई में पाकिस्तान भारत से बुरी तरह हारा और पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन गया। पर अपनी जीत के साथ अपनी हार को भी याद रखना हमेशा बेहतर होता है।एक मुल्क़ के लिए भी और इंसान के लिए भी।
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