नवोत्पल गुरुवारीय विमर्श

 


Saturday, August 3, 2019

हमारी अमरनाथ जी की यात्रा -1

हमारी अमरनाथ जी की यात्रा -1
(श्रीश-खुशबू)



मन में तो कितनी ही लालसाएँ होती हैं l भीतर होती हैं, अलसायी सी l कभी-कभी उनमें पंख लग जाते हैं जब सहसा कोई मजबूत कारण स्वतः ही उपलब्ध हो जाता है l दिल्ली से अपने घर खलीलाबाद (उत्तर प्रदेश) ट्रेन से जाना हो तो होली-दिवाली के मौके पर रिजर्वेशन मिलना लगभग असंभव ही है l पर इस वर्ष की होली में,  मै और खुशबू  घर जा सके क्योंकि बाबा भोले जी की अनन्य भक्त नम्रता जी भी गोरखपुर जा रही थीं, हमने वेटिंग टिकट ली और मजे से एक सीट पर बात करते हुए अपने घर पहुंचें l इस यात्रा में शिवकृपा से श्री अमरनाथ जी की यात्रा की चर्चा चल निकली l नम्रता जी पिछले कई वर्षों से लगातार अमरनाथ जी की यात्रा पर जा रही हैं l उन्होंने यात्रा का सांगोपांग वर्णन करना शुरू किया, हम दोनों पति-पत्नी विभोर हो सुनने लगे l उन्होंने बताया कि इस यात्रा में 'सेवाभाव' का बड़ा ही महत्त्व है, क्योंकि यह कठिन यात्रा परस्पर सहयोग से ही संभव हो पाती है l उनका यह भी कहना था कि इस यात्रा में ही, व्यक्ति के मूल चरित्र का परीक्षण हो जाता है, कौन कितना सेवाभाव में रह सकता है सब कुछ स्पष्ट हो जाता है l श्रीअमरनाथजी की यात्रा में एक यात्रा के लिहाज से सभी रोमांच शामिल हैं l अनिश्चितता है, मौसम का खेल है, बर्फ है, तीखी धूप है, सफ़ेद चमकती चोटियाँ हैं, तो उन चोटियों से रिसकर बनते-घिसते ग्लेशियर हैं और फिर कल-कल करती नदियाँ हैं, संकरे रस्ते हैं, कंपाने वाली ठंडक है, कहीं-कहीं ऑक्सीजन की कमी है, बारिश है, अठखेलियाँ करते श्वेत-श्याम बादल हैं और सबसे बड़ी बात कुछ दिनों के लिए बिजली, फोन, इन्टरनेट, सभी कुछ ठप हो जाते हैं, होते हैं तो सिर्फ आप और हिमालय की वादियाँ l यों मन तो किस भक्त का नहीं होता श्री अमरनाथ जी यात्रा पर जाने का लेकिन यह यात्रा अपने लिए असंभव ही लगती रही है l फिर यह भी कि ऐसा सुसंयोग बन सके, यह एकदम अपने हाथ में तो नहीं ही है l सच है कि बाबा बुलाएँगे तो संयोग बनते जायेंगे l सकुचाते हुए ही सही हम दोनों ने उनसे अनुरोध किया कि इस वर्ष की यात्रा में हमें भी अपने साथ ले चलें l उन्होंने तुरंत ही भोले भैया (राजेश भाई) को फोन लगाया और हमारे जाने की सूचना उन्हें दी l मालूम पड़ा कि श्री अमरनाथ जी की यात्रा पर जाने वाले शिव भक्तों की एक दीवानी टोली है जो 'जय भोले जी की सेवा समिति' के नाम से कार्य करती है और इस यात्रा पर जाने वाले भक्तों की सेवा-सहायता पूरी तत्परता से करती है l अगले दो दिनों में ही दिल्ली से उधमपुर के लिए हमारी टिकटें बुक हो गयीं l अब हमें यात्रा आवेदन पत्र और मेडिकल पास बनवाना था जो श्री अमरनाथ जी श्राईन बोर्ड द्वारा अनुमोदित सरकारी अस्पतालों से मेडिकल परीक्षण के उपरांत मिलता है l शिवकृपा से एवं 'जय भोले जी की सेवा समिति' की निर्णायक सहायता से समस्त आवश्यक औपचारिकताएँ भी हमारी पूरी हो गयीं, योजना इतनी बन गयी थी कि हम 30 जून को दिल्ली से उधमपुर की ओर रवाना होंगे और 2 जुलाई को हम चन्दनबाड़ी रूट से श्रीअमरनाथ जी पवित्र गुफा की ओर प्रस्थान करेंगे l 
18 मार्च को ट्रेन में जब नम्रता जी (बीच में) ने हमें यात्रा के बारे में बताया 

इतनी प्रसन्नता यही सोचकर हो रही थी कि हम श्रीअमरनाथजी जा सकेंगे, हम सचमुच जा रहे हैं l मैं हमेशा सोचता हूँ कि यदि बहुत सौभाग्यशाली व्यक्तियों को ही बाबा बुलाते हैं और उनके दर्शन केवल उन्हें ही मिलते हैं जो उनके निर्मल भक्त हैं तो निश्चित ही मै उस पंक्ति में नहीं हूँ l लेकिन शिवकृपा का एक स्पर्श आपको कहीं भी किसी भी पंक्ति में व्यवस्थित कर सकता है l इस बिंदु पर यह मै जानता था कि यात्रा की औपचारिकताएँ किसी रीति से पूरे हो जाने का अर्थ यह नहीं है कि बाबा बर्फानी जी के दर्शन हो ही जाएंगे l अभी तो इसमें कितने ही पड़ाव हैं l सबसे पहले तो स्वयं का स्वास्थ्य l हमें अब निश्चित ही यात्रा तक स्वस्थ रहना है, आप जानते हैं कि स्वस्थ रहना एकदम अपने ही हाथ में तो नहीं ही है l दुर्गम, पैदल यात्रा करनी है तो समिति द्वारा हमें बताया गया कि हम दोनों को अब रोज पाँच किमी कम से कम चलने का अभ्यास करना चाहिए, अन्यथा वहाँ मुसीबत में पड़ना होगा l फिर इस यात्रा में सुरक्षा का पहलू बहुत ही अहम है l भारत सरकार और राज्य सरकार श्रीअमरनाथ जी की यात्रा के लिए सुरक्षा के अनगिन इंतजाम करते तो अवश्य ही है लेकिन किसी भी आतंकी हलचल की एक छोटी सूचना भी यात्रा को रोकने के लिए काफी होती है, फिर यात्रा तभी आगे बढ़ती है जब सुरक्षा बल इस विश्वास में आ जाते हैं कि अब यात्रा सुरक्षित है l सुरक्षा की वज़ह से यह यात्रा काफी अनिश्चित हो जाती है l अमूमन 45 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा सुरक्षा कारणों से कभी भी स्थगित की जा सकती है l आज (03/08/19) को जब मै यह विवरण लिख रहा हूँ तब भी सरकार ने सुरक्षा कारणों से यह यात्रा स्थगित कर दी है l स्वास्थ्य, सुरक्षा के बाद मौसम एवं भौगोलिक कारण हैं जो इस यात्रा को दुष्कर एवं अनिश्चित बनाते हैं l इस यात्रा में मौसम का कोई ऐतबार नहीं l बारिश कभी भी आपकी यात्रा को कठिन अथवा असंभव भी बना सकती है l यात्रा के दौरान कैसा मौसम रहेगा, अभी मानव जाति यह बता पाने भर को तकनीकी प्रगति नहीं कर सकी है l बारिश से भूस्खलन का गंभीर खतरा भी है यात्रा में तो इसलिए भी कभी भी यात्रा रोकी जा सकती है l रास्तों की अपनी चुनौतियाँ, असुविधाएं तो हैं ही, इन सबके बाद यदि कोई पवित्र गुफा तक पहुँच सके तब ही समझो उसे बाबा बर्फानी ने अपने दर्शन के लिए चुना है l समिति की तरफ से एक यात्रा विवरणिका दी गयी, जिसमें तिथिवार हमारी यात्रा के पड़ावों के बारे में बताया गया था, लेकिन सबसे रुचिकर पंक्ति यह थी:  'यह योजना हमने अपनी सीमा में बनायी है बाकी होगा वही जो बाबा बर्फानी चाहेंगे l' 

तो मेरे मन में स्वयं के सब प्रकार की अयोग्यता को लेकर एक लगातार ऊहापोह चल रहा था, पता नहीं मेरी यात्रा पूरी हो सकेगी कि नहीं l फिर मैंने सबकुछ बाबा पर छोड़ा, सोचा जो करना है अब उन्हें करना है l यात्रा की कठिनाइयाँ और इसकी अनिश्चितता यही दोनों पहलू इस यात्रा को दुष्कर बना देते हैं लेकिन यही तो इसे विशिष्ट भी बनाते हैं l मेरा यह आशय नहीं है कि यह यात्रा असंभव ही है, बल्कि मै यहाँ दो बातें स्पष्टतया रेखांकित करना चाहता हूँ कि यह यात्रा यकीनन दुष्कर है लेकिन शिवकृपा से, भक्तों के सेवाभाव से और समिति की सहायता से यह यात्रा अंततः सुगम हो जाती है l इतनी सुगम हो जाती है कि मेरे जैसा औसत कदकाठी, औसत स्वास्थ्य और औसत स्टेमिना का व्यक्ति यदि यह यात्रा कर सकता है तो यह यात्रा कोई भी श्रद्धालु कर सकता हैl

जून का महीना खासा व्यस्त हो गया l मेरी छुट्टियाँ विश्वविद्यालय में नहीं हुईं लेकिन खुशबू के स्कूल की छुट्टियाँ हो गयी थीं l हमने सोचा साथ के चक्कर में खुशबू की भी छुट्टियाँ यूँ ही गुजर जायेंगी तो खुशबू घर वालों के पास गोरखपुर चली गयीं l वो हैदराबाद, बंगलौर, पुणे और बनारस गयीं, मै इधर ग्रेटर नोयडा में रहा l यह लिखने का मकसद इतना ही कि जिस जून में नियमित दिनचर्या से गुजरना था ताकि श्री अमरनाथ जी की तैयारी ठीक से हो सके, पाँच किमी रोज चलने के अभ्यास का क्या कहें, साधारण खानपान भी हम दोनों का अव्यस्थित रहा l अब सहारा इतना ही था कि दोनों पेशे से अध्यापक हैं और घूमघूम कर कक्षाएं लेते हैं तो हमें विश्वास था कि हमारा शरीर में हमें यात्रा में धोखा तो नहीं ही देगा l यों डर तो लग ही रहा था पर अब ये था कि सब बाबा जानें l यात्रा के चार दिन पहले खुशबू घर से लौटीं और हमें अब यात्रा के लिहाज से शॉपिंग  करनी थी l समिति की तरफ से भोले बाबा जी (राजेश भैया) लगातार निर्देश-सुझाव एवं उपयोगी वीडियोज बना व्हाट्सएप्प पर भेज रहे थे l यात्रा के लिए जरुरी सामान कौन-कौन से हैं, क्या ध्यान रखना है, कौन सी गलतियाँ नहीं करनी हैं, आदि-आदि l इन वीडियोज से सचमुच बेहद मदद मिली l मन में एक खाका बन पाया कि हमारी तैयारी कैसी होनी चाहिए l बीच में राजेश भैया ने श्री अमरनाथ जी की एक ताजा तस्वीर हम लोगों से साझा की l यह तस्वीर बेहद मनोहारी थी l इस बार शिवलिंग काफी बड़े आकार में था और इसबार बर्फ काफी गिरी हुई थी l 

राजेश भैया ने  बाबा बर्फानी की यही तस्वीर साझा की थी 

हमने लिस्ट बनाकर अपनी शॉपिंग पूरी की और कुछ अवसरों पर नम्रता जी ने और समिति ने हमारा काम आसान बना दिया l खुशबू को लगा था कि उसे स्कूल से छुट्टियाँ नहीं मिल पाएंगी और मुझे भी लगा कि मेरे लिए भी दिक्कत होने वाली है पर जब बाबा बुलाएँगे तो बीच में कौन आएगा l फिर वो दिन भी आया जब शाम को हमें नयी दिल्ली स्टेशन से ट्रेन उधमपुर के लिए पकड़नी थी यानी 30 जून, 2019.  सुबह से ही खूब उत्साह से हमने अपना सामान पैक किया l हल्का खाना खाया और नियत समय की प्रतीक्षा करने लगे l हम दोनों ने गाढे रंग की गुलाबी टी-शर्ट पहन रखी थी l उस समय के मन का रोमांच हमारे शांत व्यवहार से कोई आंक नहीं सकता था l 

यात्रा के लिए तैयार हम

(क्रमशः)