नवोत्पल गुरुवारीय विमर्श

 


Thursday, December 20, 2018

#३# विश्वविद्यालय के दिन: अंजनी कुमार पांडेय

नाम इलाहाबाद ...!



समय कभी नहीं रुकता, अपनी गति से भागता रहता है । समस्त बदलावों को आत्मसात करते हुये। इसी भागते निष्ठुर समय के साथ मेरा शहर इलाहाबाद से प्रयागराज बना दिया गया, और देखते ही देखते इस बदलाव को जनता ने स्वीकार भी कर लिया। पता नहीं क्यों मगर मैं इस बदलाव से असहज हूं और भावनात्मक रूप से अपने को इलाहाबाद के समीप ही पाता हूँ । जन्म से लेकर जवानी तक मेरे ग्रामदेवता ने मेरे शहर का नाम मुझे इलाहाबाद ही बताया है। 

तुम हमेशा मेरे लिये इलाहाबाद ही रहोगे ...!

मैं तुम्हारी कल्पना किसी और नाम से कभी भी नहीं कर सकता ....!

चित्र साभार: आउटलूक हिंदी


जब आँख खोली तब अपने आप को फूलपुर, इलाहाबाद में पाया, स्कूल गया नैनी, इलाहाबाद में, ग्रेजुएशन किया जिस कॉलेज से वह था गउघाट इलाहाबाद में, पोस्ट ग्रेजुएशन किया इलाहाबाद विश्वविद्यालय से । दूसरे शहरों के लिये ट्रेन पकड़ी इलाहाबाद रेलवे स्टेशन से, बचपन से लेकर जवानी तक जो भी जिया इलाहाबाद में और जो भी किया इलाहाबाद में। अचानक पता चलता है कि अब जीवन के हर इक पन्ने से इलाहाबाद हटाना पड़ेगा और अब हर जगह इलाहाबाद की जगह प्रयागराज लगाना पड़ेगा । 

पता नहीं मगर क्यों मेरी  पहचान मुझसे छीन ली गई, 

इलाहाबाद शब्द मे मेरी आत्मा बसती रही है हमेशा से, 

काश मै रोक सकता समय के इस खेल को। 


मैं एक हिंदू हूँ और संगम मे लाखों बार डुबकी लगाई होंगी मैंने। हर एक कुंभ मेले में गंगा-यमुना का आशीर्वाद लिया है मैने। ऋषि भारद्वाज के आश्रम मे भी हर महीने दर्शन के लिये जाता रहा हूं। संगम किनारे स्थित लेटे हुये भगवान हनुमान आराध्य हैं मेरे । परंतु अगर मेरी आस्था अगर मेरे धर्म से है तो मेरी आस्था मेरी मिट्टी से भी है। मेरी मिट्टी में अगर पवित्र संगम है जहाँ मैंने अनगिनत डुबकियाँ लगाईं हैं तो मेरी मिट्टी में खुसरो बाग़ भी है जहाँ तमाम शामें मैंने गुज़ारी हैं। मेरी मिट्टी में अगर अलोपी देवी का मंदिर है तो मेरी मिट्टी में ऑल कैथिड्रल गिरिजाघर भी है जिसके मैंने तमाम चक्कर लगाये हैं । मेरी मिट्टी में अगर चंद्रशेखर आज़ाद पार्क है तो मेरी मिट्टी में मिंटो पार्के भी है। मेरे लिये यह सब मिलाकर ही मेरा इलाहाबाद बनता है । 

प्रयागराज नाम में वह बात नहीं जो इलाहाबाद में है क्योंकि अगर प्रयागराज एक धर्म है तो इलाहाबाद एक दर्शन है, और यह दर्शन तमाम धर्मों को समाहित किये है अपने भीतर । प्रयागराज गंगा जमुनी तहज़ीब से डिस्कनेक्टेड है और इसीलिये शायद मुझसे भी । 


तुम हमेशा मेरे लिये इलाहाबाद ही रहोगे ... 

मैं तुम्हारी कल्पना किसी और नाम से कभी भी नहीं कर सकता ...!

जब आँखें खोलीं थी तब तुम इलाहाबाद थे और जब आँखें बंद करूँगा तब भी तुम इलाहाबाद ही रहोगे मेरे लिये। मुझे नहीं पता कि तुम्हारी उत्पत्ति अल्लाह आबाद से हुयी है या फिर इला देवी से, मुझे नहीं पता कि तुम्हारा नाम हिंदू है या मुसलमान । मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि तुम्हारे नाम से मेरे जीवन का हर लम्हा जुड़ा हुआ है,और किसी भी शासक को मेरी यादों से, मेरे जीवन की तमाम स्मृतियों से छेड़छाड़ करने का कोई हक़ नहीं था ।

किसी शासक ने सत्ता के जोश में प्रयाग को अल्लाह आबाद कर दिया था, आज के शासक ने प्रयागराज कर दिया । कल कोई और आयेगा और वह कोई नया नाम दे देगा । कितने नाम बदलेंगे शासक - श्रंगवेरपुरम , प्रयाग, प्रयागराज , कौशांबी , इलाहाबास , इलाहाबाद और ना जाने क्या क्या नाम । हिंदुस्तान के इतने लंबे इतिहास में कितने ही नाम हुये हैं इस शहर के। जिस शासक का जो मन किया उसने वह नाम कर दिया, नहीं सोचा जनता क्या चाहती है , नहीं सोचा जनता की भावनायें क्या है । आज भी वही किया गया है, पाँच सौ साल पहले जो ग़लती हुई थी , उसको दोहरा कर आज के राजा को पता नहीं क्या मिलेगा और पता नहीं कौन सा स्वाभिमान वापस आयेगा । 

कैसा लगेगा अगर कोई किसी का नाम बदल दे , कैसा लगेगा अगर कोई आपकी पहचान बदल दे , कैसा लगेगा अगर रातोंरात कोई आपका इतिहास बदल दे , कोई आपकी तमाम स्मृतियाँ बदल दे । मुझे भी ऐसा लगा है कि मानो किसी ने मेरा पूरा बीता हुआ जीवन बदलने की कोशिश की हो । मुझे पूरी श्रद्धा है प्रयाग नाम से , मुझे अपार प्रेम है हिंदू धर्म से ,पर मेरा शहर मुझे इलाहाबाद के नाम से ही पसंद था और मैं अपने आप को इसी नाम से कनेक्ट कर पाता हूँ ।

यह मेरा इलाहाबाद है ...!

मेरे बचपन का इलाहाबाद , 

मेरी जवानी का इलाहाबाद , 

मेरी हर इक कहानी का इलाहाबाद , 

और 

काग़ज़ पर कोई कुछ भी कर दे ,

मेरे दिल में मेरे शहर का नाम इलाहाबाद ही रहेगा , 

उसे कैसे मिटायेगा दुनिया का कोई भी शासक ....।

भाग-२ के लिए क्लिक करें !

@अंजनी कुमार पांडेय 
पुराछात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय 
लेखक भारतीय राजस्व सेवा २०१० बैच के अधिकारी हैं और वर्तमान मे प्रतिनियुक्ति पर विदेश मंत्रालय मे रीजनल पासपोर्ट ऑफिसर के पद पर सूरत मे तैनात हैं ।

1 comment:

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